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दो पत्नियों के बीच

do patniyon ke beech

अन्य

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एक अधेड़ आदमी अपनी पत्नी से ख़ुश नहीं था इसलिए वह एक और पत्नी ले आया। दोनों पत्नियाँ एक-दूसरे को फूटी आँख नहीं देख सकती थीं। वे हमेशा झगड़ती रहती थीं। सो पति ने शहर के अलग-अलग मोहल्लों में दो मकान बनवाए। बड़ी तकरार के बाद दोनों पत्नियाँ इस बात पर राज़ी हुईं कि पति बारी-बारी से एक-एक दिन उनके साथ रहेगा।

जब वह छोटी पत्नी के साथ रहता वह पति के सर से जूंएँ निकालने के बहाने उसके सारे सफ़ेद बाल उखाड़ देती। वह चाहती थी कि उसका पति जवान दिखे और उसके सर पर एक भी सफ़ेद बाल हो।

जब वह आदमी अपनी बड़ी पत्नी के पास रुकता तो वह उसके काले बाल उखाड़ देती। बड़ी पत्नी को यह अच्छा नहीं लगता था कि उसका पति उससे छोटा दिखे।

नतीजा यह हुआ कि कुछ समय बाद उस आदमी के सर पर एक भी बाल नहीं बचा।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत की लोक कथाएँ (पृष्ठ 227)
  • संपादक : ए. के. रामानुजन
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2001

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