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नमक और चाकू

namak aur chaku

अन्य

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एक गाँव में एक लड़का था। नाम था उसका भुगंता। काम करने में उसका बिलकुल मन नहीं लगता था।

भुगंता की भौजाइयाँ उसे कोसती हुई कहतीं, ‘काम का काज का, दुश्मन अनाज का।’

एक दिन भुगंता कहीं से मटरगश्ती करके आया और बड़ी भौजी से भोजन माँगने लगा। उसे बहुत ज़ोर की भूख लगी हुई थी। बड़ी भौजी ने भुनभुनाते हुए थाली परोसी और भुगंता के सामने ला पटकी। भुगंता बड़ी भौजी के व्यवहार को अनदेखा करता हुआ रोटी खाने लगा। जैसे ही उसने दाल खाई तो दाल में नमक का अभाव लगा। उसने बड़ी भौजी से नमक माँगा।

‘अहा, देखो तो अब निठल्ले को नमक चाहिए।’ बड़ी भौजी ने ताना मारा। शेष दोनों भौजियाँ सुर में सुर मिलाकर हँसने लगीं।

इसके बाद भुगंता प्याज़ काटने को चाकू माँगा।

‘एक तो प्याज़ दो और उस पर चाकू भी चाहिए।’ मँझली भौजी ने कुढ़ते हुए कहा।

भुगंता फिर भी चुप रहा। यह देखकर छोटी भौजी को अत्यंत क्रोध आया। उसने एक मुट्ठी नमक और एक चाकू भुगंता को देते हुए कहा, ये लो लल्ला, ये नमक रखो और ये चाकू रखो और अब इस घर से विदा हो जाओ। हम तुम्हारे जैसे निठल्ले को अपने घर पर नहीं रख सकते हैं।’

तीनों भौजियों ने मिलकर भुगंता को घर से निकाल दिया। भुगंता ने एक पोटली में नमक बाँधा और कमर के फेंटे में चाकू खोंसा और निकल पड़ा दूसरे गाँव के लिए। चलते-चलते वह एक जंगल में पहुँचा। तब तक रात हो चली थी। भुगंता ने जंगल में रात व्यतीत करने का निश्चय किया। वह खंडहर की टूटी अटारी पर चढ़कर बैठ गया। तभी वहाँ नीचे एक शेर और एक भालू आए। वे आपस में बातें कर रहे थे।

‘यदि राजकुमारी इसी तरह हर युवक को डँसती रहेगी तो उससे विवाह करने के लिए कोई युवक जीवित ही नहीं बचेगा।’ भालू ने शेर से कहा।

‘हाँ, ये तो है लेकिन कोई यदि रात भर चौकस रहकर जागे तो राजकुमारी के मुँह से निकलने वाले साँप को मारकर उसे शाप से मुक्त कर सकता है और उससे विवाह करके राजा बन सकता है।’ शेर ने भालू से कहा।

भुगंता ने सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनीं लेकिन उसे समझ में नहीं आया कि वे लोग किस राजकुमारी की बात कर रहे हैं। भोर होने पर भुगंता आगे चला। वह चलते-चलते एक शहर में पहुँचा। वहाँ उसने देखा कि एक अर्थी जा रही है और लोग उसके पीछे चलते हुए यह कह रहे हैं कि ‘अब और कितने मारे जाएँगे?’ यह सुनकर भुगंता को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने अर्थी के पीछे चलने वालों से पूछा कि वे ऐसा क्यों कह रहे हैं? तब लोगों ने उसे बताया कि उनकी राजकुमारी हर रात को एक युवक को अपने पास बुलाती है और उससे कहानी सुनाने को कहती है। युवक कहानी सुनाते-सुनाते सो जाता है तो राजकुमारी उसे मार डालती है। यह सुनकर भुगंता को शेर और भालू की बातें याद गईं।

भुगंता राजा के पास पहुँचा। उसने राजकुमारी को कहानी सुनाने की इच्छा प्रकट की।

‘अरे मूर्ख युवक, तू क्यों अपने प्राण गँवाना चाहता है? हमारे राज्य के अधिकांश युवक अपने प्राण गँवा चुके हैं। तू परदेशी है अत: मैं नहीं चाहूँगा कि तू भी राजकुमारी के हाथों मारा जाए। उसे आज तक कोई भोर होने तक कहानी नहीं सुना सका है।’ राजा ने भुगंता को समझाना चाहा।

‘आप तो ये बताएँ कि यदि मैं भोर होने तक राजकुमारी को कहानी सुनाता रहू और जीवित बच जाऊँ तो आप मुझे अपनी घोषणा के अनुसार राजकुमारी से मेरा विवाह करा देंगे और अपना आधा राज्य दे देंगे।’ भुगंता ने पूछा।

‘यदि तुम ऐसा कर सके तो मैं तुम्हें अपना आधा नहीं बल्कि पूरा राज्य दे दूँगा।’ राजा ने कहा। वह अपनी बेटी को किसी भी मूल्य पर शाप मुक्त कराना चाहता था तथा एक साहसी और चतुर युवक से विवाह कराना चाहता था।

रात होने पर भुगंता को राजकुमारी के कक्ष में पहुँचा दिया गया। राजकुमारी ने देखा कि भुगंता तो बहुत सुंदर और आकर्षक युवक है तो उसने भी भुगंता को ले जाने की सलाह दी लेकिन भुगंता अपने निश्चय पर डटा रहा।

रात्रि का प्रथम प्रहर आरंभ होते ही भुगंता ने राजकुमारी को कहानी सुनानी आरंभ कर दी। द्वितीय प्रहर आरंभ होते ही भुगंता को नींद आने लगी। उसने नींव रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन नींद से आँखें बोझिल होने लगीं। तब भुगंता ने अपनी कमर के फेंटे से चाकू निकाला और अपनी हथेली को चाक से काट लिया। फिर पोटली से नमक निकाला और कटी हथेली पर मल दिया। अब पीड़ा और जलन के मारे भुगंता की आँखों से नींद उड़ गई। वह जागता हुआ कहानी पर कहानी सुनाता रहा। जब उसे नींद आने लगती वह अपने हथेली के घाव पर नमक मल लेता और पीड़ा के मारे नींद ग़ायब हो जाती। रात्रि का चौथा प्रहर आरंभ होते ही राजकुमारी के मुँह से एक काला सर्प निकला और भुगंता को डँसने के लिए लहरा कर झपटा। भुगंता पहले से चौकन्ना था। उसने अपना चाकू निकाला और सर्प का सिर काटकर उसे मार डाला। सर्प के मरते ही राजकुमारी शाप-मुक्त हो गई। फिर दोनों भोर होते तक मीठी-मीठी बातें करते रहे।

भोर होने पर राजा ने राजकुमारी के कक्ष में जाकर देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ कि भुगंता जीवित है और सर्प मरा पड़ा है। उसने तत्काल विवाह की तैयारियाँ आरंभ कराईं और राजकुमारी के साथ भुगंता का विवाह कराकर उसे अपना पूरा राज्य देते हुए राजा घोषित कर दिया। इस प्रकार नमक और चाकू की सहायता से निठल्ला भुगंता राजा बन बैठा और न्यायपूर्वक राज्य करने लगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 91)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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