Font by Mehr Nastaliq Web

नेवले का ख़ज़ाना

nevale ka khazana

अन्य

अन्य

जंगल में एक नेवला रहता था। उसने एक लंबा और गहरा बिल बना रखा था। एक दिन उसके मन में विचार आया कि यदि वह अपने बिल को और लंबा करता जाए तो धरती के द्वारे छोर तक पहुँच सकता है।

बस, फिर क्या था? नेवला जुट गया अपने काम में। पहले ही दिन उसे समझ में गया कि यह एक दिन में होने वाला काम नहीं है। अत: उसने निर्धारित किया कि वह हर घंटे कुछ देर के लिए अपने बिल में घुसकर उसे और खोदेगा और फिर बाहर आकर कुछ देर आराम करेगा।

एक दिन उस जंगल में एक राजा शिकार खेलने आया। वह भटकते-भटकते नेवले के बिल तक पहुँच गया।

उसने देखा कि नेवला हर घंटे कुछ देर के लिए अपने बिल के भीतर जाता है और फिर वापस आकर बाहर बैठ जाता है। राजा को लगा कि अवश्य ही उसके बिल में ख़ज़ाना छिपा हुआ है जिसकी रखवाली करने के लिए नेवला बार-बार भीतर जाता है। राजा ने सोचा कि नेवले के ख़ज़ाने को हथियाया जाए।

राजा दूसरे दिन कुदाल लेकर आया। वह अपने साथ और किसी को इसलिए नहीं लाया कि कहीं वह ख़ज़ाने में हिस्सा माँगने लगे। राजा ने नेवले को डरा-धमकाकर उसके बिल से उसे भगा दिया और स्वयं उसके बिल में घुस गया। नेवले का बिल बहुत गहरा और लंबा था। राजा बहुत दूर तक यूँ ही चलता चला गया। कई कोस बाद बिल का अंतिम छोर गया किंतु ख़ज़ाना नहीं मिला। राजा ने सोचा कि नेवले ने ख़ज़ाने को बिल में और गहरे गाड़ा होगा। यह सोचकर राजा ने बिल को खोदना शुरू किया।

राजा बिल खोदता गया, आगे बढ़ता गया। बिल खोदता गया, आगे बढ़ता गया। बिल खोदता गया, आगे बढ़ता गया। इसी प्रकार खोदते, बढ़ते हुए राजा अचानक धरती के दूसरे छोर पर निकल आया। बिल का रास्ता दूसरे छोर पर अचानक खुल जाने से राजा स्वयं को संभाल सका और बिल से बाहर गिरकर मर गया।

राजा को तो नेवले का ख़ज़ाना नहीं मिला क्यों कि वहाँ कोई ख़ज़ाना था ही नहीं लेकिन धरती के दूसरे छोर पर पहुँचने की नेवले की इच्छा अवश्य पूरी हो गई।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 323)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

संबंधित विषय

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए