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पक्षियों का जोड़ा

pakshiyon ka joDa

नीलगिरि की पहाड़ियों के बीच एक सघन वन था। उस सघन वन में पक्षियों का एक जोड़ा रहता था। वह बहुत ही सुंदर जोड़ा था। नर पक्षी के सतरंगे पंख थे और लाल-सुनहरी चोंच थी तथा मादा पक्षी के आसमानी रंग के पंखों पर सुनहरी धारी वाली सुंदर आकृति थी। दोनों पक्षी कल्लोल करते और हँसी-ख़ुशी से रहते।

एक बार उस वन में एक बहेलिया आया। उसने पक्षियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। अनेक पक्षी उसके जाल में जा फँसे। यह देखकर शेष पक्षियों में व्याकुलता छा गई। वे विलाप करने लगे और अपने संबंधियों को छुड़ाने के लिए सहायता की गुहार लगाने लगे। उस जोड़े ने भी अन्य पक्षियों का रुदन सुना। वे अन्य पक्षियों के पास पहुँचे। अन्य पक्षियों की दशा देखकर उन्हें लगा कि किसी तरह उनके साथियों को छुड़ाना होगा।

‘बहेलिए! तुम इन बंदी पक्षियों को बेचकर जितना धन कमाओगे उससे अधिक धन तुम्हें मिल सकता है यदि तुम इनके बदले मुझे बंदी बनाकर अपने राजा के पास ले चलो और मुझे उपहार के रूप में उसे सौंप दो।’ नर पक्षी ने बहेलिए से कहा।

‘और तुम मुझे रानी को सौंप देना। बदले में वह तुम्हें बहुत-सा धन देगी।’ मादा पक्षी ने कहा।

बहेलिए ने ऐसा ही किया। जाल में फँसाए गए पक्षियों को छोड़कर वह नर और मादा पक्षी के उस जोड़े को लेकर राजा और रानी के पास पहुँचा। राजा और रानी ने बहेलिए को बहुत-सा धन दिया।

रात होने पर नर और मादा पक्षी आपस में मिलने को व्याकुल होने लगे किंतु नर पक्षी राजा के महल में था और माँदा पक्षी रानी के महल में। वे व्याकुलतावश विरह के स्वर निकालने लगे। राजा ने सुना तो वह उदास हो गया। रानी ने सुना तो वह भी उदास हो गई। वे दोनों अपने-अपने पक्षी लेकर एक-दूसरे के पास पहुँचे। उन्होंने अपने-अपने पक्षियों को चूमा और उन्हें दुलार कर मुक्त कर दिया ताकि वे परस्पर मिल सकें।

मुक्त होते ही वे दोनों पक्षी पंखधारी स्त्री-पुरुष में बदल गए। यह देखकर राजा और रानी चकित रह गए।

‘हम आपके आभारी हैं कि आपने हमें शाप से मुक्ति दिलाई। हम स्वर्ग के पक्षी हैं किंतु एक बार स्वर्ग का नियम तोड़ने के कारण हमें शाप दे दिया गया था कि हम पृथ्वी पर अन्य पक्षियों के समान जीवन जिएँ। हम बहेलिए द्वारा बिछड़ेंगे किंतु जब हमें कोई मानव जोड़ा चूमकर, दुलार कर मुक्त कर देगा तो हमारा शाप टूट जाएगा और हम स्वर्ग लौट सकेंगे। अतः अब हम शाप मुक्त होकर स्वर्ग जा रहे हैं। अब आप बताएँ कि हम आपके लिए क्या करें?’ नर पक्षी ने कहा।

‘हमें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए। आप दोनों यही कामना कीजिए कि हमारे राज्य में कभी दुख और अकाल पड़े।’ राजा ने कहा।

‘ऐसा ही होगा!’ कहकर स्वर्ग के पक्षियों का जोड़ा पंख हिलाता हुआ उड़ गया।

पक्षियों के जोड़े की बात सही निकली। उस राज्य में कभी कोई दुख व्याप्त नहीं हुआ और कभी अकाल नहीं पड़ा।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 241)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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