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चिड़िया राजकुमारी

chiDiya rajakumari

एक राजा था और एक रानी थी। राजा रानी को बहुत प्रेम करता था। एक बार रानी को एक चिड़िया पालने की इच्छा हुई। उसने राजा से कहा। राजा ने तुरंत एक सुंदर चिड़िया उसे मँगाकर दे दी। चिड़िया का पिंजरा रानी ने अपने कक्ष में रखवाया। दूसरे दिन रानी ने राजा को सूचना दी कि वह गर्भवती है। राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उनकी कोई संतान नहीं थी। अब उनके महल में पहली संतान जन्म लेने वाली थी। रानी ने राजा से कहा कि जब तक संतान का जन्म हो जाए तब तक वह रानी के कक्ष में प्रवेश करे। राजा ने बात मान ली।

नौ महीने बाद रानी ने राजा को सूचना दी कि संतान का जन्म हो गया है और वह संतान एक सुंदर-सी कन्या है। राजा अपनी बेटी को देखने भागा-भागा आया किंतु रानी ने कहा कि अभी नहीं, बेटी को तनिक बड़ी हो जाने दीजिए तब उसे देखिएगा। राजा मान गया। वह रानी की हर बात मानता था।

बेटी जब बड़ी हुई तो रानी ने राजा से कहा कि अब उसके विवाह के लिए वर ढूँढिए। राजा ने अपनी बेटी के योग्य एक राजकुमार ढूँढ़ा। राजा ने कहा कि अब मुझे अपनी बेटी का मुख देखने दो। रानी ने कहा अभी नहीं, भँवर के समय देखिएगा। राजा मान गया।

भँवर के समय दुल्हन की पुकार हुई। रानी ने कहा कि हमारी बेटी डोली में बैठकर, पर्दे में रहकर भँवर लेगी। बाराती मान गए। भँवर पड़ गई। राजा ने कहा कि अब तो भँवर भी पड़ गई और अब बेटी विदा हो जाएगी अत: अब तो मुझे अपनी बेटी का मुख देख लेने दो। रानी ने कहा नहीं, आप जब बेटी को ससुराल से विदा कराकर लाने जाएँगे उस समय देख लीजिएगा। राजा मन मारकर चुप हो गया।

राजकुमारी डोली में बैठकर ससुराल के लिए विदा हो गई। रास्ते में राजकुमार ने सोचा कि मैंने अपनी दुल्हन का मुख तो देखा ही नहीं है। अत: उसने डोली में झाँककर देखा। वह यह देखकर स्तब्ध रह गया कि वहाँ राजकुमारी नहीं बल्कि एक नन्ही सी चिड़िया बैठी थी। चिड़िया ने राजकुमार से कहा कि आप हैरान हों, मैं ही राजकुमारी हूँ। रानी ने मुझे अपनी बेटी की तरह पाला है। अब मैं आपकी पत्नी हूँ।

राजकुमार बेचारा क्या कहता। उसने सोचा कि यदि वह सबसे कहेगा कि एक चिड़िया के साथ उसका विवाह करा दिया गया है तो सब उस पर हँसेंगे। अतः उसने परिस्थिति से समझौता करने में ही भलाई समझी और घर पहुँचकर डोली अपने कमरे में उतरवाई।

राजकुमार अपने कक्ष में किसी को प्रवेश नहीं करने देता और अपनी दुल्हन को किसी को देखने देता। सभी समझते कि राजकुमारी बहुत सुंदर होगी इसीलिए राजकुमार उसे छिपाकर रखता है। राजकुमार की माँ भी सोचती कि चार दिन बाद जब दुल्हन पुरानी हो जाएगी तो राजकुमार स्वयं ही उसे सबसे मिलवा देगा।

इस बीच छोटे राजकुमार का विवाह तय हो गया। अब बड़े राजकुमार की पत्नी का निकलना आवश्यक हो गया। रानी को भी लगने लगा कि अब राजकुमारी को कक्ष से बाहर आना चाहिए। उसने राजकुमारी को बाहर निकालने के लिए राजकुमार से कहा कि ‘ढेर सारा धान कूटने को पड़ा है यदि बड़ी बहू कूट देती तो अच्छा होता।’

यह बात राजकुमार ने चिड़िया को बताया और बोला, ‘अब हमारा भेद खुल जाएगा।’

‘आप चिंता करें।’ चिड़िया ने कहा और रात होते ही चुपचाप सारा धान कूट दिया, साफ़ कर दिया और भूसी अलग करके रख दी।

सुबह रानी ने देखा तो वह दंग रह गई। अब रानी ने कहा कि ‘ढेर सारी दाल रखी है जिसे दलना है। बड़ी बहू दल देती तो अच्छा होता।’

राजकुमार ने चिड़िया को बताया और चिड़िया ने रातो-रात दाल दल दी। रानी ने देखा तो वह यह सोचकर ख़ुश हो गई कि यदि बहू बाहर नहीं निकलती है तो कोई बात नहीं लेकिन काम तो बहुत अच्छा कर लेती है।

बारात जाने का दिन गया। राजकुमार ने चिड़िया से कहा कि ‘अब मुझे जाना होगा। तुम्हारे लिए दाना-पानी रख जाता हूँ। यदि हो सके तो आने वाली बहू के लिए ये कपड़े सिल देना। हम अपनी ओर से उसे उपहार में दे देंगे।’

‘आप निश्चिंत होकर जाएँ। मैं कपड़े सिल दूँगी।’ चिड़िया ने कहा।

कपड़े सिलवाने में राजकुमार की चाल थी। वह देखना चाहता था कि चिड़िया इतने बड़े-बड़े काम कैसे कर लेती है? अतः वह बारात के साथ गया तो लेकिन बीच रास्ते से चुपके से वापस चल पड़ा। जब वह अपने कक्ष में पहुँचा तो वहाँ एक सुंदर युवती कपड़े सिल रही थी और चिड़िया की खाल पास में पड़ी हुई थी। राजुकमार लपककर कमरे में गया और उसने चिड़िया की खाल उठाकर जला दी।

‘आज मैं शाप से मुक्त हो गई। मैं एक राजकुमारी थी किंतु मैंने एक दिन एक साधू का उपहास किया जिससे वह क्रोधित हो गया और उसने मुझे चिड़िया बना दिया। उस साधू ने कहा कि जिस दिन मेरा पति मेरी चिड़ियावाली खाल को अचानक जला देगा उस दिन मैं शापमुक्त हो जाऊँगी। यह बात मैंने रानी को भी बताई थी। इसीलिए उन्होंने मुझे अपनी बेटी घोषित किया और आपके साथ मेरा विवाह कराया।’ राजकुमारी ने बताया।

राजकुमार अपनी सुंदर पत्नी को पाकर अत्यंत प्रसन्न हुआ। नई बहू के आने पर उसने अपनी राजकुमारी पत्नी को सबसे मिलाया। इस अवसर पर राजकुमारी का पिता राजा भी आया हुआ था उसने भी अपनी बेटी को देखा। वह भी बहुत ख़ुश हुआ।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 299)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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