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भोजपुरी लोकगीत : ए राम से खेरबि होरी

bhojapuri lokgit ha e ram se kherabi hori

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रोचक तथ्य

संदर्भ—महायोद्धा राम से होली खेलने की इच्छा।

राम से खेरबि होरी।।टेक।।

आरे जेकरा कर सर धनुष बिराजेला,

साम गउर दुनो जोरी।

बालक रूप अनूप बनल बा,

सोभा सिन्धु खरोरी।।1।।

बगसर जाइ मुनिन मख रखले,

जनकपुर में धेनुहा तोरी।

सब भूपन के मान मरदि के,

उत बियाहे जनक किसोरी।।2।।

बन में जाई मलाह के तरले,

नैन जयन्त के फोरी।

त्रास हरेले सुरनर मुनिन के,

कपि दल सैन बटोरी।।3।।

लंका के राज बिभीषन दिहले,

रावन के सिर फोरी।

देवतन के जेलखाना छोड़वले,

लवटेले अवध बहोरी।।4।।

एक भक्त इच्छा प्रकट करता है—मैं राम के साथ होली खेलूँगा।

जिनके हाथ में धनुषबाण शोभायमान हैं, जिनकी श्याम और गौर (राम-लक्ष्मण) जोड़ी है, जिनका बालक रूप अनोखा बना है और जो शोभा के खरे समुद्र हैं।।1।।

जिन्होंने बक्सर जाकर मुनियों की रक्षा की, जनकपुर में धनुष तोड़ा तथा सब राजाओं का मान मर्दन कर जनक की किशोरी सीता से विवाह किया।।2।।

जिन्होंने वनवास को जाते समय मार्ग में केवट को तार दिया, इंद्र के पुत्र जयंत की आँख फोड़ दी और जिन्होंने वानर सेना एकत्र कर रावणवध करके देवताओं, मनुष्यों तथा मुनियों का भय दूर कर दिया।।3।।

जिन्होंने रावण के सिर फोड़कर लंका का राज्य विभीषण को दे दिया, देवताओं को जेलखाने से छुड़ाया और फिर अयोध्या लोटे।।4।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 101)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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