Font by Mehr Nastaliq Web

भोजपुरी लोकगीत : आहो रामा, राजा जनक जी कठिन प्रन ठाने हो रामा

bhojapuri lokgit ha aaho rama, raja janak ji kathin pran thane ho rama

अन्य

अन्य

रोचक तथ्य

संदर्भ—धनुष-यज्ञ।

आहो रामा, राजा जनक जी कठिन प्रन ठाने हो रामा।

देसे देसे लिखि लिखि पतिया पठाने में हो राम।।1।।

देसे देसे०।

आहो रामा, देस रे बिदेसवा के भूप सभ अइले हो रामा।

केहू नाही संकर चाप चढ़ावे हो रामा।।2।।

केहू नाही०।

आहो रामा, अजोध्या बसेले राजा दसरथ हो रामा।

उनहूँ के राजा कुँवर दोऊ भइया आये हो रामा।।3।।

उनहूँ के०।

आहो रामा, एक हाथे राम धेनुहा उठावे हो रामा।

दूजे हाथे क्रीट मुकुट सहिरावे हो रामा।।4।।

दूए हाथे०।

राजा जनक जी ने कठिन प्रण किया है और वे देश-देश के राजाओं को पत्रिका भेज रहे हैं।।1।।

आमंत्रण पाकर देश-विदेश के सब राजा आए हैं, किंतु कोई भी शिव-धनुष नहीं चढ़ा रहा है।।2।।

अयोध्या में राजा दशरथ रहते हैं। उन्हीं के दो राजकुमार (राम-लक्ष्मण) आए हैं।।3।।

राम एक हाथ से धनुष उठा रहे हैं और दूसरे हाथ से अपने किरीट, मुकुट को सहला रहे हैं।।4।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 107)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY