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मैथिली लोकगीत : पटना सहर के साँकर गलिया

maithili lokgit ha patna sahar ke sankar galiya

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रोचक तथ्य

संदर्भ-पटना शहर।

पटना सहर के साँकर गलिया,

लागि गेल हे राम दोहरी बजरिया।

अपना महल से निकले समलिया,

कहि दिअ हे राम झुलनी के मोलवा।।1।।

जबे हम हो राम रहली लड़िकवा,

काहे कैला हे राम लड़िका से बिअहवा।

बाबा मोरा रहलईं बड़ निरमोहिया,

भुलि गेलईं हे राम लड़िका के सुरतिया।।2।।

पटना नगर की सँकरी गलियाँ हैं। वहीं दोहरी बाज़ार लग गई। अपने महल से मेरे स्वामी जी निकले और उन्होंने झुलनी का मोल कह दिया।।1।।

जब मैं लड़की थी तो लड़के से विवाह क्यों किया? वास्तव में मेरे पिताजी बड़े निर्मोही थे। वे लड़के की सूरत भी भूल गए।।2।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 64)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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