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मैथिली लोकगीत : कथिलै रुदन पसारह नागरि

maithili lokgit ha kathilai rudan pasarah nagari

अन्य

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रोचक तथ्य

संदर्भ—विवाहिता लड़की का नैहर-प्रेम।

कथिलै रुदन पसारह नागरि,

कमल नयन मुरझाय।

के की कहलक सुन्दरि कहु कहु,

सोचहि हंस सुखाय।।1।।

कथिलै रुदन पसारब हे पति,

नइहर जाएब आसे।

मात पिता मुख देखब कखनहिं,

किछु दिन नइहर बासे।।2।।

कते दिन लै परतारव हे पति,

आव मरब बिष खाय।

काल्हिक भामिनि भाग हुनक भल,

सब जनि नइहर जाय।।3।।

ससुराल में पति नव विवाहिता से पूछता है—हे सुंदरी! तुम क्यों रो रही हो, तुम्हारे कमल के समान नेत्र मुरझाए हुए हैं। हे सुंदरी! बताओ तुमको किसने क्या कहा जो तुम्हारे प्राण सूख रहे हैं।।1।।

पत्नी कहती है—हे पतिदेव! भला मैं क्यों रोऊँगी? मेरी तो नैहर जाने की

एक मात्र आशा (अभिलाषा) है। कुछ दिन नैहर में रहकर माता-पिता का मुँह कब देख पाऊँगी।।2।।

हे पति! कितने दिनों तक दिलासा दोगे? अन्यथा मैं विष खाकर मर जाऊँगी। जो नवविवाहिताएँ मुझ से बाद अपनी ससुराल आई थीं, वे सब भी अपने नैहर चली गई हैं।।3।।

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