Font by Mehr Nastaliq Web

ब्रजी लोकगीत : गिरवर लैके भारो गिर न पड़ै गोपाल

brji lokgit ha girwar laike bharo gir na paDai gopal

अन्य

अन्य

रोचक तथ्य

संदर्भ—गोवर्धन-धारण-लीला।

गिरवर लैके भारो गिर पड़ै गोपाल।

ब्रज की सखी सब पूजन निकरी, भरभर मुतियन थार॥

इन्दर कोप चढ़ेउ ब्रज ऊपर, बरसत मूसलधार।

सात दिवस मघवा झर लायौ, ब्रज में पड़ी फुहार॥

ग्वाल बाल सब गिरवर नीचे, मुरली बजावैं नंदलाल।

चंद सखी भज बालकृष्ण छबि, निरखत मुख गोपाल॥

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 301)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY