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भोजपुरी लोकगीत : बाला जोगी, बाला जोगी कुववाँ खोनवले

bhojapuri lokgit ha bala jogi, bala jogi kuwwan khonawle

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रोचक तथ्य

संदर्भ—निराश्रित आत्मा की पुकार।।

बाला जोगी, बाला जोगी कुववाँ खोनबले।

कि आहो मोरे रामा, डोरिया हो बरत दिन बीते राम।।1।।

टूटि गइले डोरिया धंसि गइले कुववाँ।

कि आहो मोरे रामा, केकरा के दुअरिया दिनवा काटबि राम।।2।।

हाथ छूछ फाँड़ छूछ केहू नाहिं बात पूछे।

कि आहो मोरे रामा, केकरा हो दुअरिया दिनवा काटबि राम।।3।।

बालयोगी ने कुआँ खुदवाया, किंतु जल निकालने के लिए रस्सी बटते-बटते ही सारा दिन बीत गया।।1।।

रस्सी टूट गई, कुआँ भी धँस गया। अब किसके दरवाज़े पर मैं दिन काटूँगी।।2।।

मेरा हाथ ख़ाली है, अंचल ख़ाली है; कोई बात नहीं पूछता है। अब मैं

किसके दरवाज़े पर दिन बिनाऊँगी।।3।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 128)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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