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भोजपुरी लोकगीत : बाबा न देखो बाग बगइचा

bhojapuri lokgit ha baba na dekho bag bagaicha

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रोचक तथ्य

संदर्भ—पुत्री की अपने पिता से शिकायत।

बाबा देखो बाग बगइचा, बाबा देखो फुलवारी ए।।1।।

काहा दल उतरी बेटी, बरियाति टिकाइबि फुलवारी ए।।2।।

रउरा चुकलीं बाबा हमरी बेरिया, हमरा करियवा बर आने हो।।3।।

साँवर साँवर जनि कहु बेटी, साँवर कृष्ण कन्हाई हो।।4।।

एक पुत्री अपने पिता से कहती है—हे पिताजी! आपने ने तो बाग़-बग़ीचा देखा और ही वर की फुलवारी देखी (और उससे विवाह करने का निश्चय कर लिया)।।1।।

पिता कहता है—हे बेटी! मुझे चिंता है कि बरात उतरेगी। फिर सोचता है

जब बरात द्वाराचार में दरवाज़े आई और लड़की ने दूल्हे को देखा तो

पिता ने उत्तर दिया—बेटी! साँवला साँवला मत कहो, साँवले कृष्ण भी हैं।।4।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 95)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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