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सँइयाँ बिसा सौत के लानें

saniyan bisa saut ke lanen

ईसुरी

अन्य

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ईसुरी

सँइयाँ बिसा सौत के लानें

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    सँइयाँ बिसा सौत के लानें!

    अँगिया लाए उमानें!

    ऐसे और बनक के रेजा अबई हाट बिकाने॥

    उनने करी दूसरी दुलहन, जौ जिउ कैसें मानें॥

    उनें पैर दोरे हो कड़ने, प्रान हमारे खाने॥

    मायकें सें ना निगते ‘ईसुर’ जौ हम ऐसी जाने॥

    स्वामी ने सौत के लिए सही नाप की चोली ख़रीदी है। ऐसी बनक की चोली पहली बार बाज़ार में बिकने आई थी। उन्होंने दूसरी दुलहिन बना ली है। मेरा जी कैसे शांत रहे? वह उनकी ख़रीदी चोली पहन कर इसी द्वार से निकलेगी और मेरा कलेजा जलाएगी। देखो ईसुरी! यदि हमें यह बात मालूम होती तो मायके से ससुराल को पैर ही नहीं बढ़ाते।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 98)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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