'टूटते परिवेश' इस पुस्तक में रचनाकार ने आदिकालीन परिवेश की आधुनिक परिवेश के साथ तुलना की है। जिसमें रचनाकार ने हर क्षण मनुष्य को टूटते हुए और परिस्थितियों से जूझते हुए दिखाया है।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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