यह कथाकार-सम्पादक रवीन्द्र कालिया की बहुत वर्षों से अप्राप्य रही आयी पुस्तक 'स्मृतियों की जन्मपत्री' का पुनर्नवा संस्करण है। इस पुस्तक को लेखक की डायरी कहें, संस्मरण कहें, यात्रा - वृत्तान्त कहें या एक शब्द में 'स्मृति कोश' कह लें । दरअसल यह लेखकी और लेखन की दुनिया से बाहर के बीच की एक कड़ी है - इसमें न भविष्य का स्वप्न है न उपरान्त का समाधान- केवल एक वर्तमान की सतत यात्रा है जो आज इतने वर्षों बाद भी अपनी ताज़गी बरक़रार रखे हुए है। यहाँ एक खास ऐतिहासिक क्षण से जुड़े हुए लेखक के सैकड़ों स्मृति चित्र टँगे हुए हैं। इसी अर्थ में मैंने इसे लेखकी स्मृति कोश की संज्ञा दी है।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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