समकालीन जनवादी हिन्दी कविता में कवियों ने आम जन के प्रति शोषण, अन्याय एवं सामाजिक विषमताओं और विसंगतियों का खुलकर चित्रण किया है। जनवादी साहित्य शोषण और सत्ता के अहंकार का विनाश करने वाला, स्वतन्त्रता और मुक्ति के गीतों को अभिव्यक्त करने वाला है।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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