'गुनाहों का देवता' इस उपन्यास में लेखक ने पीड़ा के क्षणों में जैसे आम आदमी को केवल ईश्वर पर यक़ीन होता है, उसका विश्वास और उसकी आस्था और बढ़ जाती है। उस वक़्त केवल वह ईश्वर को ही एक मात्र सहारा समझता है। इसमें प्रेम के अव्यक्त और अलौकिक रूप का अन्यतम चित्रण है।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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