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अलि पतंग मृग मीन दीन छवि

ali patang mrig meen deen chhawi

आलम

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आलम

अलि पतंग मृग मीन दीन छवि

आलम

और अधिकआलम

    अलि पतंग मृग मीन दीन छवि छीन नलिन पुनि।

    गज बाजी कुंदनहिं हंस सारस कदली गुनि।

    कोकिल कीर कपोत कुंद जो पटतर भापहिं।

    हौं क्यों यहि बिधि कहौं बुद्धि अनचाहत नापहिं।

    वृषभान सुता सम कहन कहँ, ‘आलम’ त्रिभुवन में जु कछु,

    यह मन वच क्रम कै जानियहु कहि कहिबी सो सवै तुछ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आलम-केलि (पृष्ठ 151)
    • संपादक : भगवानदीन
    • रचनाकार : आलम
    • प्रकाशन : उमाशंकर मेहता
    • संस्करण : 1922

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