Font by Mehr Nastaliq Web

धन-धन अवध पुरी के बासी

dhan-dhan avadh purii ke baasii

किशोर (बुंदेलखंडी)

अन्य

अन्य

किशोर (बुंदेलखंडी)

धन-धन अवध पुरी के बासी

किशोर (बुंदेलखंडी)

और अधिककिशोर (बुंदेलखंडी)

    धन-धन अवध पुरी के बासी, जनम लयो है अवनासी।

    धन्य जे कूकर सूकर ह्याँ के, मुक्त पाव हैं बे ख़ासी।

    सुर-नर-मुन सब ध्यान धरत हैं, निरत करत हैं कैलासी।

    है आधीन किशोर तुमारी, अब होय जन की हाँसी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 80)
    • संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
    • रचनाकार : किशोर
    • प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
    • संस्करण : 2000

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए