Font by Mehr Nastaliq Web

चितवन सालत नागर नट की

chitvan saalat naagar naT kii

दशरथ

अन्य

अन्य

दशरथ

चितवन सालत नागर नट की

दशरथ

चितवन सालत नागर नट की, लटकन मोर मुकुट की।

बिसरत नहीं रात-दिन हमकौं, बिहरन जमुना तट की।

सुन बंशी की धुन सुन आली, मन ना मानै हटकी।

दसरथ कहत बाँस की बनसी, बीच करेजैं खटकी॥

स्रोत :
  • पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 107)
  • संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
  • रचनाकार : दशरथ
  • प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
  • संस्करण : 2000

संबंधित विषय

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए