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रवींद्रनाथ ठाकुर

1861 - 1941 | जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी, पश्चिम बंगाल

रवींद्रनाथ ठाकुर की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 2

यदि तेरी पुकार सुनकर कोई आए तो तू अकेला ही चल।

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धरती के आँसू ही उसकी मुस्कानों को खिलाते हैं।

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