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कृष्ण बलदेव वैद

1927 - 2020 | पंजाब

समादृत साहित्यकार। विलक्षण कथाकारिता और डायरी-लेखन के लोकप्रिय।

समादृत साहित्यकार। विलक्षण कथाकारिता और डायरी-लेखन के लोकप्रिय।

कृष्ण बलदेव वैद की संपूर्ण रचनाएँ

कहानी 1

 

उद्धरण 63

पीते वक़्त ख़्वाहिश होती है अच्छा संगीत सुनूँ, और संगीत के इर्द-गिर्द ख़ामोशी हो।

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अगर इनसान पैसे और शोहरत का मोह छोड़ दे तो वह ख़तरनाक हो जाता है, कोई उसे बरदाश्त नहीं कर पाता, सब उससे दूर भागते हैं, या उसे पैसा और शोहरत देकर फिर मोह के जाल में फाँस लेना चाहते हैं।

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पुराने दोस्त पी लेने के बाद और पराए हो जाते हैं। पी लेने के बाद दोस्तों की ज़बान खुल जाती है, दिल नहीं।

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अगर इस दुनिया को ईश्वर का ख़्वाब समझ लिए जाए तो ईश्वर से अपेक्षा कम हो जाए, हमदर्दी ज़्यादा।

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यादों का सुख दुख के बग़ैर नहीं होता।

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पुस्तकें 5

 

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