समय पर कुंडलियाँ

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

साईं समय न चूकिये

गिरिधर कविराय

राजा के दरबार में

गिरिधर कविराय

साईं अवसर के पड़े

गिरिधर कविराय

दिन पिछलो आवीयो

संत मंगलगिरी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere