सूर्यास्त पर उद्धरण

महान् कलाकारों की रचनाएँ तो हमारे बीच उदित और अस्त होने वाले सूर्य जैसी हैं। प्रत्येक महान् कृति जो आज अस्ताचल की ओर चली गई है, वही कल उदयाचल में प्रकट होगी।

मनुष्य के जीवन में भी सूर्योदय और सूर्यास्त होता है।

लोग सूर्योदय होने पर प्रसन्न होते हैं, सूर्यास्त होने पर भी प्रसन्न होते हैं। वे यह नहीं जानते कि प्रतिदिन अपने जीवन का नाश हो रहा है।