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प्रायश्चित पर कविताएँ

किसी दुष्कर्म या पाप

के फल भोग से बचने के लिए किए जाने वाले शास्त्र-विहित कर्म को प्रायश्चित कहा जाता है। प्रायश्चित की भावना में बहुधा ग्लानि की भावना का उत्प्रेरण कार्य करता है। जैन धर्म में आलोचना, प्रतिक्रणण, तदुभय, विवेक, व्युत्सर्ग, तप, छेद, परिहार और उपस्थापना—नौ प्रकार के प्रायश्चितों का विधान किया गया है।

एक क्षण की याद

अमन त्रिपाठी

संभव है

प्रदीप अवस्थी

पछतावा

शिवम चौबे

दिल्ली 2018

गिरिराज किराडू

दीनदयाल दया करिए

प्रतापनारायण मिश्र

हमारा पतन

अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

जाना तब

राहुल राजेश

राम-विनय

बालमुकुंद गुप्त

अफ़सोस

शिवांगी गोयल

मौत के बाद का काम है

सीमा भारद्वाज

अफ़सोस-दर्पण

हेमंत शेष

अन्ना अफ़सोस है मुझे

सुधा उपाध्याय

पश्चाताप

देवेश पथ सारिया

झूठ

संजय शांडिल्य

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere