
पेट जितना भी भरा रहे, आशा कभी नहीं भरती। वह जीवों को कोई-न-कोई अप्राप्य, कुछ नहीं तो केवल रंगों की माया का इंद्रधनुष प्राप्त करने के मायावी दलदल में फँसा ही देती है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
पेट जितना भी भरा रहे, आशा कभी नहीं भरती। वह जीवों को कोई-न-कोई अप्राप्य, कुछ नहीं तो केवल रंगों की माया का इंद्रधनुष प्राप्त करने के मायावी दलदल में फँसा ही देती है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere