प्रतिज्ञा पर कविताएँ

प्रतिज्ञा किसी कार्य

या कर्तव्य-पालन के लिए व्यक्त दृढ़ निश्चय है। इसे न्याय दर्शन में अनुमान के पाँच अवयवों में से पहला अवयव भी कहा गया है। प्रस्तुत चयन में प्रतिज्ञा को प्रमुख शब्द या आशय की तरह इस्तेमाल करती कविताओं का संकलन किया गया है।

प्रतिज्ञा

कुशाग्र अद्वैत

अपनी भाषा में शपथ लेता हूँ

विनोद कुमार शुक्ल

सवाल

रमाशंकर यादव विद्रोही

भीष्म प्रतिज्ञा

मैथिलीशरण गुप्त

प्रतिज्ञा

बीरेंद्र चट्टोपाध्याय

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere