आम पर कविताएँ

अपने रूप, गंध, स्वाद

के कारण आम को फलों का राजा कहा जाता है और इन्हीं कारणों से प्राचीन काल से ही यह काव्य में अपनी उपस्थिति जताता रहा है।

आम के बाग़

आलोकधन्वा

आम खाते हुए रोना

गार्गी मिश्र

अमराई

प्रेम रंजन अनिमेष

आम और पत्तियाँ

मुकेश निर्विकार

कच्चा प्रेम

प्रेमशंकर शुक्ल

अंतिम अध्याय

महेश आलोक

मामूली मत समझो आम

रमेशदत्त दुबे

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere