विलास पर काव्य खंड

विलास सुखभोग या आनंदमय

क्रीड़ा है। संयोग के समय प्रकट हाव-भाव अथवा प्रेमसूचक क्रियाएँ भी विलास मानी जाती हैं। किसी अंग की मनोहर चेष्टा को उस अंग से संबद्ध विलास के रूप में प्रकट किया जाता है। प्रस्तुत है विलास के विषय पर विभिन्न काव्यरूपों से एक चयन।

कामायनी (चिंता सर्ग)

जयशंकर प्रसाद

पंचवटी

मैथिलीशरण गुप्त

वसंत वर्णन

अब्दुल रहमान

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere