आग पर गीत

सृष्टि की रचना के पाँच

मूल तत्त्वों में से एक ‘पावक’ जब मनुष्य के नियंत्रण में आया तो इसने हमेशा के लिए मानव-इतिहास को बदल दिया। संभवतः आग की खोज ने ही मनुष्य को प्रकृति पर नियंत्रण के साथ भविष्य में कूद पड़ने का पहली बार आत्मविश्वास दिया था। वह तब से उसकी जिज्ञासा का तत्त्व बना रहा है और नैसर्गिक रूप से अपने रूढ़ और लाक्षणिक अर्थों के साथ उसकी भाषा में उतरता रहा है। काव्य ने वस्तुतः आग के अर्थ और भाव का अंतर्जगत तक वृहत विस्तार कर दिया है, जहाँ विभिन्न मनोवृत्तियाँ आग के बिंब में अभिव्यक्त होती रही हैं।

अग्नि देश से आता हूँ मैं

हरिवंशराय बच्चन

रूबरू

प्रसून जोशी

दिया जलता रहा

गोपालदास नीरज

तुम आग पर चलो

गोपाल सिंह नेपाली

जीवन की आग

शंभुनाथ सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere