
समय न तो माँगा जा सकता है और न ही दिया जा सकता है। यह निराकार, रंगहीन है। यह एक बिंदु से प्रारंभ होकर किसी बिंदु पर समाप्त नहीं हो सकता। वही अमरत्व है। इसे इस तरह बदलना हमारे हाथ में नहीं है। हम इससे तटस्थ रह सकते हैं और केवल वही विनिमय कर सकते हैं जो हमारे अधिकार में है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere