आलोचक पर निबंध
आलोचना एक साहित्यिक
विधा है जो कृतियों में अभिव्यक्त साहित्यिक अनुभूतियों का विवेकपूर्ण विवेचन उपरांत उनका मूल्यांकन करती है। कर्ता को आलोचक कहते हैं और उससे रचनाकार के प्रति, कृति के प्रति और समाज के प्रति उत्तरदायित्वों के निर्वहन की अपेक्षा की जाती है। नई कविता में प्रायः कवियों द्वारा आलोचकों को व्यंग्य और नाराज़गी में घसीटा गया है।
साधारणीकरण और व्यक्ति-वैचित्र्यवाद
किसी काव्य का श्रोता या पाठक जिन विषयों को मन में लाकर रति, करुणा, क्रोध, उत्साह इत्यादि भावों तथा सौंदर्य, रहस्य, गांभीर्य आदि भावनाओं का अनुभव करता है वे अकेले उसी के हृदय से संबंध रखने वाले नहीं होते; मनुष्य-मात्र की भावात्मक सत्ता पर प्रभाव डालने
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere