बाल साहित्य
बाल साहित्य के अंतर्गत
बच्चों और किशोरों के लिए लिखी गई रचनाएँ संकलित की गई हैं। ‘हिन्दवी’ ने यहाँ बाल साहित्य के अर्थ को कुछ व्यापक करने की कोशिश की है। इस क्रम में न सिर्फ़ यहाँ बच्चों के लिए लिखा गया साहित्य संकलित है, बल्कि उन रचनाओं को भी यहाँ सहेजा गया है जिन्हें ख़ुद बच्चों ने ही रचा है। इसके अतिरिक्त हिंदी की जिन महत्वपूर्ण कविताओं में समय-समय पर बच्चे आएँ हैं, उन कविताओं का भी एक चयन यहाँ प्रस्तुत है।
थाल बजंता हे सखी, दीठौ नैण फुलाय।
बाजां रै सिर चेतनौ, भ्रूणां कवण सिखाय॥
नवजात शिशु के लिए माता अपनी सखी से कहती है कि प्रसूतिकाल के समय ही बजते हुए थाल को इसने आँखें फुला-फुला कर देखा। हे सखी! बाजा सुनते ही उल्लसित हो जाना गर्भ में ही इन्हें कौन सिखाता है? अर्थात् शूर-वीर के लिए उत्साह और स्फूर्ति जन्मजात होती है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere