साँस पर ग़ज़लें

साँस संस्कृत शब्द ‘श्वास’

का प्रचलित हिंदी रूप है, जिसका अर्थ प्राणवायु का आवागमन या श्वसन की क्रिया है। साँस जीवन-मृत्यु के बीच का पुल है। भाषा ने इसके महत्त्व को श्वास-विषयक मुहावरों के विविध प्रयोगों के रूप में दर्ज किया है; जहाँ जीवन-मृत्यु के अतिरिक्त संकोच, विकलता, अवकाश, गुँजाइश जैसे कई अभिप्रायों की उत्पत्ति होती है। प्रस्तुत चयन में साँस को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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