अपभ्रंश पर रासो काव्य
अपभ्रंश शब्द पतन, विकृति,
बिगाड़ आदि का अर्थमूलक है। आधुनिक भाषाओं के उदय से पहले उत्तर भारत में प्रचलित बोलचाल और काव्य की भाषा को अपरिष्कृत भाषा के रूप में देखते हुए संस्कृत वैयाकरणों द्वारा इसे ‘अपभ्रंश’ नाम दिया गया था।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere