अकबर पर सोरठा

प्रसिद्ध मुग़ल बादशाह

अकबर साहित्य और संस्कृति के संरक्षक थे। उनके ‘नवरत्न’ में शामिल अबुल फ़ज़ल ने ‘अकबरनामा’ और ‘आईन-ए-अकबरी’ की रचना की थी, फ़ैज़ी फ़ारसी का प्रसिद्ध कवि था और समादृत अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना (रहीम) प्रसिद्ध दोहाकार थे। भक्ति-काव्य अकबर के शासनकाल के दौरान अपने उत्कर्ष पर था और तुलसीदास, सूरदास और मीरा अकबर के समकालीन माने जाते हैं। काव्य में महाराणा प्रताप की प्रशस्ति में अकबर की उपस्थिति एक अनिवार्य टेक की तरह रही है।

अकबर जासी आप

दुरसा आढ़ा

अकबर समद अथाह

पृथ्वीराज राठौड़

अकबर समद अथाह

दुरसा आढ़ा

भागै सागै भाम

दुरसा आढ़ा

पातळ पाघ-प्रमाण

पृथ्वीराज राठौड़

चीत मरण रण चाय

दुरसा आढ़ा

सह गावड़ियो साथ

पृथ्वीराज राठौड़

पातळ, जो पतसाह

पृथ्वीराज राठौड़

सांगो धरम सहाय

दुरसा आढ़ा

मन री मन रै माहि

दुरसा आढ़ा

महि दाधण मेवाड

दुरसा आढ़ा

अकबरिये इकबार

दुरसा आढ़ा

अकबर गरब न आँण

दुरसा आढ़ा

अकबर कीना याद

दुरसा आढ़ा

कदै न नामै कंध

दुरसा आढ़ा

ढिग अकबर दळ ढाण

दुरसा आढ़ा

घट सूं ओघट घाट

दुरसा आढ़ा

बधियो अकबर वैर

दुरसा आढ़ा

अकबर हिये उचाट

दुरसा आढ़ा

है अकबर घर हाण

दुरसा आढ़ा

अकबर जतन अपार

दुरसा आढ़ा

कळपे अकबर काय

दुरसा आढ़ा

अकबर पथर अनेक

दुरसा आढ़ा

जाणै अकबर जोर

दुरसा आढ़ा

चंपो चीतोटाह

पृथ्वीराज राठौड़

चोथो चीतोड़ाह

पृथ्वीराज राठौड़

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jis ke hote hue hote the zamāne mere

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