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वल्लभाचार्य

1478 - 1531 | बगहा, बिहार

समादृत संत और दार्शनिक। पुष्टिमार्ग के संस्थापक और शुद्धाद्वैत के प्रतिपादक।

समादृत संत और दार्शनिक। पुष्टिमार्ग के संस्थापक और शुद्धाद्वैत के प्रतिपादक।

वल्लभाचार्य की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 3

अहंता और ममता के नाश से सर्वथा अहम्-विहीन होने पर जब जीव स्वरूपस्थ हो जाता है तो उसे कृतार्थ कहा जाता है।

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जिन्होंने प्रभु को आत्मनिवेदन कर दिया है, उन्हें कभी किसी प्रकार की चिंता नहीं करनी चाहिए। पुष्टि (कृपा) करने वाले प्रभु अंगीकृत जीव की लौकिक गति नहीं करेंगे।

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समस्त सिद्धियों की हेतु यमुना को मैं प्रणाम करता हूँ।

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