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रीतिकालीन आचार्य कवि। अलंकार ग्रंथ 'अलंकारमणि मंजरी' के रचनाकार। सुबोध और सरल विषय प्रतिपादन के लिए प्रसिद्ध।

रीतिकालीन आचार्य कवि। अलंकार ग्रंथ 'अलंकारमणि मंजरी' के रचनाकार। सुबोध और सरल विषय प्रतिपादन के लिए प्रसिद्ध।

ऋषिनाथ के दोहे

श्री नंदलाल तमाल सो, स्यामल तन दरसाय।

ता तन सुबरन बेलि सी, राधा रही समाय॥

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