महादेवी वर्मा के संस्मरण
भक्तिन
छोटे क़द और दुबले शरीरवाली भक्तिन अपने पतले ओठों के कोनों में दृढ़ संकल्प और छोटी आँखों में एक विचित्र समझदारी लेकर जिस दिन पहले-पहले मेरे पास आ उपस्थित हुई थी तब से आज तक एक युग का समय बीत चुका है। पर जब कोई जिज्ञासु उससे इस संबंध में प्रश्न कर बैठता
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere