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लक्ष्मण गुप्त

1983 | पूर्वी चंपारण, बिहार

नई पीढ़ी के कवि-ग़ज़लकार। निम्नमध्यवर्गीय संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

नई पीढ़ी के कवि-ग़ज़लकार। निम्नमध्यवर्गीय संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

लक्ष्मण गुप्त की ग़ज़लें

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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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