हरमन हेस की कहानियाँ
वहमी
मार्टिन सिड ने अपने पिता की स्टडी के दरवाज़े पर दस्तक दी। तत्काल एक गुर्राहट उभरी और उसके पिता की आवाज़ आई, “अंदर आ जाओ!” आम तौर पर मार्टिन अपने पिता के आराम या अध्ययन में हस्तक्षेप नहीं करता था। उसका पिता किताबों का कीड़ा था और उसे यह बात बिलकुल पसंद
शहर
‘ऐसा लगता है अब हम लोग कहीं पहुँच रहे हैं। इंजीनियर ज़ोर से बोल पड़ा; जैसे ही लोगों, कोयलें, औज़ारों और खाद्य-पदार्थों से भरी हुई दूसरी ट्रेन उस नए इलाके में पहुँची, जहाँ कल ही रेल की पटरियाँ बिछाई गई थीं। घास भरी ज़मीन के उस अछूते विस्तार में सूरज की
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere