Font by Mehr Nastaliq Web

उपदेश

updesh

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

अन्य

अन्य

और अधिकआचार्य रामचंद्र शुक्ल

    अप्रमेय को शब्द बाँधि कै बताइए।

    जो अथाह ताहि यों बुद्धि सों थहाइए।

    ताहि पूछि बताय लोग भूल ही करै।

    सो प्रसंग लाय व्यर्थ वाद माहि ते परै॥

    अंधकार आदि में रह्यो पुराण यों कहै।

    वा महानिशा अखंड बीच ब्रह्म ही रहै।

    फेर में ब्रह्म के, आदि के रहौ, अरे।

    चर्मचक्षु को अगम्य और बुद्धि के परे॥

    देखि आँखिन सो सकिहै कोउ काहु प्रकार।

    मन दौराय पैहै भेद खोजनहार।

    उठत जैहैं चले पट पै पट, ह्वै है अंत।

    मिलत जैहै परे पट पै पट अपार अनंत॥

    चलत तारे रहत पूछन जात यह सब नहिं।

    लेहु एतो जानि बस-हैं चलत या जग माहिं।

    सदा जीवन मरण, सुख दुख, शोक और उछाह।

    कार्य-कारण की लरी कालचक्र-प्रवाह॥

    और यह भवधार जो अविराम चलति लखाति।

    दूर उद्गम सों सरितचलि सिंधु दिशि ज्यों जाति।

    एक पाछे एक उठति तरंग तार लगाय।

    एक हैं सब, एक सी पै परति नहिं लखाय॥

    तरणि-कर लहि सोइ लुत तरंग पुनि कहुँ जाय।

    धुवां से धन की घटा ह्वै गगन में घहराय।

    आर्द्र है नग शृंग पै पुनि परति धारासार।

    सोइ धार तरंग पुनि-नहिं थमत यह व्यापार॥

    जानिबो एतो बहुत भू-स्वर्ग आदिक धाम।

    सकल माया-दृश्य हैं, सब रूप हैं परिणाम।

    रहत घूमत चक्र यह श्रम-दुख पूर्ण अपार।

    थामि याको सकत कोऊ नहिं काहु प्रकार॥

    बदना जनि करौ, ह्वै है कछु वा तम माहिं।

    शून्य सों कछु याचना जनि करौ, सुनिहै नाहिं।

    मरौ जनि पचि औरहू मन ताप आप बढ़ाय।

    केश नाना भाँति के दे व्यर्थ तनहिं तपाय॥

    ब्रह्म-लोक ते परे सनातन शक्ति विराजति।

    जो या जग में ‘धर्म’ नाम सो आवति बाजति।

    आदि अंत नहिं जासु, नियम है जाके अविचल।

    सत्वोन्मुख जो करति सर्ग-गति सचित करि फल॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : कविता-कौमुदी, दूसरा भाग : हिंदी (पृष्ठ 436)
    • संपादक : रामनरेश त्रिपाठी
    • रचनाकार : आचार्य रामचंद्र शुक्ल
    • प्रकाशन : हिंदी-मंदिर, प्रयाग
    • संस्करण : 1996

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए