Font by Mehr Nastaliq Web

मंगलाचरण (दो)

ma.nglaachar.n (do)

मुल्ला दाउद

अन्य

अन्य

मुल्ला दाउद

मंगलाचरण (दो)

मुल्ला दाउद

और अधिकमुल्ला दाउद

    सिरजसि तीन (तेइँ?) मेदनि नव षंडा।

    सिरजसि नदी अठारह गंडा।

    सिरजसि नीर षीर (औ) षारू।

    सिरजसि सम(मु)द जानौ पारू।

    सिरजसि गिर(रि) परष(ब)त तरवरा।

    सिरजसि बनष(षं)ड सरवरा।

    सिरजसि रतन पदारथ मोंती।

    सिरजसि मान(नि)क दीय(?) जोती।

    सिरजसि माकार (मकर) गोह घार(रि)यारा।

    सिरजसि बहुते मंछ अपारा।

    सिरजसि सभ संसार सपूरन जल[?] महियल सोइ।

    ज(जि)ह कर ठाव जानीये तिह बिन ठाव होइ॥

    उस अस्तित्व ने नौ खंड पृथ्वी की सृष्टि की, और अठारह गण्डे नदियाँ रचीं। उसने नीर, क्षीर तथा समुद्रों की रचना की, और ऐसे समुद्रों की रचना की जिनका पार हम नहीं जानते हैं। उसने गिरियों, पर्वतों और तरुवरों की रचना की। उसने वनखंड और सरोवरों की रचना की। उसने रत्नों, बहुमूल्य पदार्थों और मोतियों की रचना की, और उसने माणिक्यों की रचना की, जिन्हें उसने ज्योति दी। उसने मकरों, गोहों, और घड़ियालों और अपार मत्स्यों की रचना की। उसने समस्त संसार और उसी ने संपूर्ण जल-राशि और महीतल की रचना की। वह ऐसा है कि जिसका स्थान हम नहीं जानते हैं, यद्यपि उसके बिना कोई स्थान नहीं है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : चांदायन (पृष्ठ 2)
    • रचनाकार : मुल्ला दाउद
    • प्रकाशन : प्रामाणिक प्रकाशन, आगरा
    • संस्करण : 1967

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए