Font by Mehr Nastaliq Web

धनि धनि वृंदावन वासी

dhani dhani wrindawan wasi

परमानंद दास

अन्य

अन्य

परमानंद दास

धनि धनि वृंदावन वासी

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    धनि धनि वृंदावन वासी।

    नित प्रति चरन कमल अनुरागी, स्यामा स्याम उपासी॥

    या रस को जो मरम जानै जाय बसौ सो कासी।

    भसम लगाय गरें लिंग बांधौ सदा रहौ उदासी॥

    अष्ट महासिद्धि द्वारें ठाढ़ी मुकुति चरन की दासी।

    परमानंद चरन कमल भजि सुंदर घोष निवासी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 111)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए