Font by Mehr Nastaliq Web

राह भूले हुए मुसाफ़िर से

rah bhule hue musafir se

अनुवाद : सुनीता डागा

आसावरी काकडे

अन्य

अन्य

आसावरी काकडे

राह भूले हुए मुसाफ़िर से

आसावरी काकडे

और अधिकआसावरी काकडे

    राह भूले मुसाफ़िर से

    मत पूछिए

    उसका गाँव

    दिखाएँ उसे दिशा

    नए सपनों की ओर ले जाती…

    मत उकेरिए

    शब्दों से उनके अर्थ

    अपने रोपें

    नाभि से उगने वाले

    मत ढूँढ़िए वजह

    अस्फुट मुस्कुराहटों की

    पैदा करें बहाने ताकि

    उमड़े खिलखिलाती हँसी

    मत मिटाइए तृषित की तृष्णा

    तुरंत पानी देकर

    कुछ शेष रहने दें कंठ में

    उसका अपना कुआँ मिलने तक

    मत लादिए

    जीवन की इच्छाओं के बोझ

    गुज़रती उम्र पर

    कहें निर्मम होकर

    शुभास्ते पन्थानः सन्तु…!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : आसावरी काकडे
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए