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पीड़ा अगर शांति का पथ प्रशस्त करती है

piDa agar shanti ka path prashast karti hai

अनुवाद : चंद्रबली सिंह

एमिली डिकिन्सन

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एमिली डिकिन्सन

पीड़ा अगर शांति का पथ प्रशस्त करती है

एमिली डिकिन्सन

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    पीड़ा अगर शांति का पथ प्रशस्त करती है,
    तो देखो, कैसे महानतम वर्षों की प्रतीक्षा
    हमारे पदों को है!

    अगर वसंतों का उदय शीत-ऋतु से होता है
    तब भला कौन सदाबहार फूलो की
    गणना करने में सक्षम है!

    अगर रात का स्थान पहला है—तब दुपहर
    धूप के लिए हमें कमर कसने की
    निगाहें कैसी!

    जब सहस्र नभों से
    हमारी विस्फारित आँखों में
    मध्याह्न धधकेंगे!

             
    स्रोत :
    • पुस्तक : एमिली डिकिन्सन की कविताएँ : संचयन (पृष्ठ 38)
    • रचनाकार : एमिली डिकिन्सन
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 2011

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