नियमगिरि, खांबसी गाँव की चौरासी वर्षीया बूढ़ी की अनकही कहानी

niyamagiri, khambsi ganw ki chaurasi warshiya buDhi ki anakhi kahani

सीताकांत महापात्र

सीताकांत महापात्र

नियमगिरि, खांबसी गाँव की चौरासी वर्षीया बूढ़ी की अनकही कहानी

सीताकांत महापात्र

1

ये जितने लंबे-लंबे पेड़

ये जंगल, ये पहाड़

सात पुश्तों से, अति पवित्र!

देखने मात्र से घट जाती है भूख

उधर बंगा है बुरूबंगा

साथ निभाता है हर सुख-दुःख

गगनचुंबी साल के पेड़ के पत्ते

देते हैं बनाने के लिए तुम्हारे खाने की थाली और दोना

महुआ पेड़ के गिरे फूलों से महुली बनाना

और बालाओं के जूड़ों में सजाना

इसके चारों तरफ धरती के गर्भ में

सारी संपत्ति, सारी खदानें

पहाड़ों में बॉक्साइट और अनगिनत खनिज

चाहे कल हो या परसों

निश्चय ही लोभी की संपत्ति की तरह हो जाएँगी ख़त्म

एक मुट्ठी भर चावल कणों की तरह

चारों तरफ कलकल करते झरनों के पानी की

नहीं मिल पाएगी कल एक बूँद

सूख जाएगी सब तुम्हारे लोभ की गरमी से

कल खोजते समय

ये धुंधली आँखें देखेंगी

वे पवित्र पेड़ नहीं

पेड़ के नीचे कुलदेवता नहीं

झरनों में पानी नहीं

उन गीतों में, युवकों की बंसी में

मधुर रागिनी नहीं।

इस तरह नहीं-नहीं के भीतर होंगे

अभी तक जो! सात पुश्तों

से बने छोटे से घर से

सर से टकराएगा, अलंदू काला

ध्यान से देखकर आओ, देख सकते हो

छत से लटकती हुई कोई माला

चट्टान के गीत सरस

बाजरा नहीं मिलने पर लेंगे आम की गुठलियों का रस।

2

जानती थी, तुम सब दिन आओगे।

हमारे लिए रोओगे

ओजस्वी भाषण के सारे शब्द

अग्नि के स्फुलिंग होकर बिखर जाएँगे

डर लगता है झरनों में आग लग जाएगी?

जानती थी,

किसी दिन भी जिन्हें देखा तक नहीं था

वे सब भी आएँगे।

ये कोई नई बात नहीं है

राजा-महराजा समुद्र पार के शासक

तिरंगा लहराने के समय

तरह-तरह के शासक, शोषक

छोटे-मोटे व्यापारियों से बड़े-बड़े व्यापारी

तक सभी आएँगे।

तुम्हारी आँखे होते हुए भी

देख नहीं पाओगे

कैमरे की आँखें तो अंधे की आँखें

तुम्हारे कान होने पर भी सुन नहीं पाओगे

सीने की धकधक

नहीं होने को शायद नहीं

समझ पाओगे।

उन सबसे क्या लेना-देना?

'दर्मू' धर्म देवता छिपकर देख रहा है सब

धरती माता समझ रही है

छोटी-मोटी बातें सब।

स्रोत :
  • पुस्तक : ओडिया भाषा की प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 143)
  • रचनाकार : सीताकांत महापात्र
  • प्रकाशन : यश पब्लिकेशंस
  • संस्करण : 2012

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY