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किसी और ने उसकी पलकें मूँदीं

kisi aur ne uski palken mundin

चंदन सिंह

अन्य

अन्य

चंदन सिंह

किसी और ने उसकी पलकें मूँदीं

चंदन सिंह

मृतक की आँखें खुली थीं

मानो वह भूल गया था पलकें मूँदना

किसी और ने उसकी पलकें मूँदीं

पर उसमें हुआ यह

कि जो दृश्य था एक उसकी आँखों के सामने :

एक खुली खिड़की

आम के कुछ पत्ते

टेलीफ़ोन का तनिक झुका हुआ खंभा

बिजली के तार

सामने के सफ़ेद मकान पर पोचारे-सी धूप

नीला आकाश

अपनी उड़ान पर थिर बैठी एक चील

कमरे में लोगों के चेहरे

घूमता हुआ एक पंखा

उसकी पलकें

इस पूरे दृश्य को

पोंछती हुई बंद हुईं।

स्रोत :
  • रचनाकार : चंदन सिंह
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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