सत्यमेव जयते

satymew jayte

प्रसून जोशी

प्रसून जोशी

सत्यमेव जयते

प्रसून जोशी

तेरा रंग ऐसा चढ़ गया

कोई और रंग चढ़ सके

तेरा नाम सीने पे लिखा

हर कोई के पढ़ सके

है जुनून है जुनून है

तेरे इश्क़ का ये जुनून है

रग-रग में इश्क़ तेरा दौड़ता

ये बावरा-सा ख़ून है

तूने ही सिखाया

सच्चाइयों का मतलब

तेरे पास के जाना

मैंने ज़िंदगी का मक़सद

सत्यमेव, सत्यमेव,

सत्यमेव जयते

सच्चा है प्यार मेरा,

सत्यमेव जयते

तेरे नूर के दस्तूर में

हो सलवटें शिकन रहे

मेरी कोशिशें तो हैं बस यही

रहे ख़ुशबुएँ गुलशन रहे

तेरी ज़ुल्फ़ सुलझाने चला

तेरे और पास आने चला

जहाँ कोई सुर बेसुरा

वो गीत मैं गाने चला

तेरा रंग ऐसा चढ़ गया

था नशा जो और भी बढ़ गया

तेरी बारिशों का करम है ये

मैं निखर गया

मैं सँवर गया

जैसा भी हूँ अपना मुझे

मुझे ये नहीं है बोलना

क़ाबिल तेरे मैं बन सकूँ

मुझे द्वार ऐसा खोलना

साँसों की इस रफ़्तार को

धड़कन के इस त्यौहार को

हर जीत को हर हार को

ख़ुद अपने इस संसार को

बदलूँगा मैं तेरे लिए

मुझे ख़ुद को भी है टटोलना

कहीं है कमी तो है बोलना

कहीं दाग़ हैं तो छुपाएँ क्यों

हम सच से नज़रें हटाएँ क्यों

ख़ुद को बदलना है अगर

बदलूँगा मैं तेरे लिए

शोलों पे चलना है अगर

चल दूँगा मैं तेरे लिए

मेरे ख़ून की हर बूँद में

संकल्प हो तेरे प्यार का

काटो मुझे तो तू बहे

हो सुर्ख़ रंग हर धार का

सत्यमेव, सत्यमेव

सत्यमेव जयते

सच्चा है प्यार मेरा,

सत्यमेव जयते

स्रोत :
  • पुस्तक : धूप के सिक्के (पृष्ठ 191)
  • रचनाकार : प्रसून जोशी
  • प्रकाशन : रूपा पब्लिकेशंस
  • संस्करण : 2016

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