दोहे
अपभ्रंश साहित्य का प्रमुख छंद, जो कालांतर में लोक साहित्य का सबसे प्रिय छंद बना। यह अपने छोटे से कलेवर में कई बातें समेटने की क्षमता रखता है, इसीलिए इसे गागर में सागर भरने वाला छंद बताया गया है।
1623 -1698
नाथ परंपरा के कवि। चर्पटनाथ के शिष्य। असार संसार में लिप्त जीवों की त्रासदी के सजीव वर्णन के लिए स्मरणीय।